Sunday, July 11, 2010

आषाढ़ की एक शाम

     आषाढ़  की यह उदास शाम बारिश में धुलकर आइने-सी चमकदार हो उठी है.काले-धूसर-श्वेत  बादलों का एक-दूसरे से लिपटना , उलझना और फिर बिखर जाना नीले आकाश की पृष्ठभूमि में चल रहा प्रहसन लग रहा है  जिसे देखकर पश्चिमी आकाश में झुक चला सूरज कभी हँस पड़ता है तो कभी मुंह ढँक लेता है संध्या के आँचल से. सामने  के विस्तृत तालाब में साँपों की तरह लहराती वलयाकार तरंगें किनारों को भिगोकर पुनः जल में लौट रही हैं . खेतों में धान के आधे डूबे पौधों को छेड़ती-दुलराती हवा चली जा रही है  एक ही दिशा में , फिर किसी दिन लौटने के लिए.
ऐसे में मेंड़ पर बैठा परदेशी मन दुहरा रहा है एक पुराने गीत की पंक्तियाँ  जिसमें एक प्रेषित्पतिका पिय की पाती की प्रतीक्षा करते-करते थककर पुरवाई से विनती करती है कि तू ही ले जा मेरा यह आखिरी सन्देश और उस निष्ठुर से कह देना कि दिन गिनते-गिनते उंगली के पोर घिस गए हैं और जिस आँचल कि छाँव में तुमने जेठ कि तपती दोपहरी बितायी थी , वह तोतापंखी आँचल बेरंग हो गया है.
    सूरज घर जाने की जल्दी में क्षितिज के पार जाकर ओझल हो चूका है. सांझ के मुरझाए चेहरे को अब  और देख पाना संभव नहीं . मैं उदास मन लौटता हूँ घर को. शायद अपने अस्तित्व  का एक अंश  वहीँ छोडकर .        

9 comments:

  1. बॉस,
    संवेदनशील मन और उसपर उदासी यानि नीमचढ़ा करेला।
    बहुत सालती है उदासी, हो सके तो ये सब भुलाकर मस्त रहना चाहिये। बाई दि वे, भूमिया खेड़ा गांव का नाम है क्या?

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  2. कितनी संवेदनशील रचना है। आप लगातार लिखते रहिए। आपका मन सुकुन पाएगा। सारा कुछ लग रहा है कि आंखों के सामने रख दिया हो।

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  3. @ संजय जी ,
    भूमिया खेडा, दरअसल, ग्रामदेवता का स्थान है जो अक्सर गांव के बाहर कहीं स्थित रहता है . गांव पर आनेवाली तमाम अलाय-बलाय से गांव की रक्षा करना भूमिया का काम है. मुख्यतः पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यह शब्द प्रयुक्त होता है.

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  4. nice blog......

    Meri Nayi Kavita par aapke Comments ka intzar rahega.....

    A Silent Silence : Zindgi Se Mat Jhagad..

    Banned Area News : Food poisoning deaths stalk Bengal village

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  5. बादलों का प्रहसन बढि़या प्रयोग, इसे देखने का धीरज तो क्‍या बात है.

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  6. दिनवा गिनत मोरी घिसली अंगुरिया रे
    रहिया तकत नैना झरै रे बिदेसिया...

    भोजपुरी फिल्म बिदेसिया का गीत।

    'डीहवारा' पर इस ब्लॉग का दिया गया लिंक काम नहीं कर रहा।

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  7. अपनी पहली पोस्ट याद आ गई:

    http://girijeshrao.blogspot.com/2008/11/blog-post.html

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  8. उदासी और खुशी !
    ....क्या कहें ? जीवन चलते जाना !

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